Sunday, December 28, 2014

My salute to 2014

ओ जाते साल जाते जाते इतना बताता जा
आने वाले साल की कोई झलक दिखाता जा

जो बोये थे सपने उन में अंकुर आएंगे या नहीं
जो सपने टूटेंगे उनकी खनक सुनाता जा

मैं लिखूंगा अपनी किस्मत जिन पन्नों पर स्याही से
बीते साल की रेखा उन पन्नों से मिटाता जा

मैंने दिल से माना है शुकर तेरे अहसानो का
तूने ज़ुल्म किये हैं तो अहसान जताता जा