Saturday, July 22, 2017

मैं बिन सोचे कहता जाऊँ

मैं बिन सोचे कहता जाऊँ
तुम बिन समझे सुनती जाओ
ना तकरार होगी,
ना अनबन कोई
और कहने को होगा कि
कहा तो था

मैं दिन भर के क़िस्से सारे
शाम तुम्हारे नाम करूँगा
तुम बस हामी भरते रहना
चाहे ग़लत लगूँ या सही
मेरा मन हल्का हो लेगा
और तुम कह सकोगी कि
सुना तो था

जो कर पाए, कह देंगे कि
वादा यही करने का था
जहाँ रुकेंगे चलते चलते
कह देंगे कि
तय यहीं तो आना था
देखते जाना कितना ख़ुश
हम दोनो लगा करेंगे
कितना जँचेगा हम दोनो पर
ये प्यारा सा मुखौटा

- मनस्वी

1st June 2017

मैं मौसम के साथ चलूँ

मैं मौसम के साथ चलूँ
और मौसम मेरे साथ चले
ढलता जाऊँ मैं हर पल में
मैं बदलूँ जब ये बदले

बादल बन उड़ जाऊँ हवा में
बारिश बन वापस आ जाऊँ
फिर गरमी में लू बनूँ
तपूँ अगन सा सुलगाऊँ
सर्दी में सिहरन बन कर फिर
साँस मेरी कोहरे में ढले

पर इक दिन थक कर बैठूँगा
मन बोलेगा अब और नहीं
जो बदले हर मौसम ऐसे
होता उसका कोई ठौर नहीं
तू चुन ले तू क्या चाहेगा
उमर चुने, उस से पहले

- Manasvi

21 May 2017