Sunday, April 1, 2018

कुछ नया नया

कुछ नया नया
कुछ सुना सुना
इक गीत लबों पर आया था
कुछ बुझी बुझी
कुछ जली जली
यादों ने पल महकाया था

दो नाम जुड़े थे उस पल से
और आज सिले थे उस कल से
हम बुनते बैठे लमहों को
और कसते बैठे धागों को
कुछ रंगीला
कुछ बेरंगी
आँचल तुमको ओढ़ाया था

फिर शाम ढली फिर सुबह हुई
ज्यों दिन और रात में सुलह हुई
तुम जाते जाते रुकी ज़रा
मेरे चेहरे पर झुकी ज़रा
कुछ कहा नहीं
पर लगा मुझे
बस नाम मेरा दोहराया था
- Manasvi
19 March 2018