Tuesday, May 5, 2015

कोशिशें जारी हैं

सुर्ख़ियों में कहानियाँ
अब भी तलाश करता हूँ
अजनबी सी गुफ्तगू
कर बंद आँखे सुनता हूँ
हासिल हुआ है कुछ नहीं
बस पलकें नींद से भारी हैं
माना कि पन्ने कोरे हैं
पर कोशिशें जारी हैं

कहता हूँ जब भी औरों से
मेरी छोड़ो, कुछ अपनी कहो
चाहता हूँ बातों में उनकी
कोई दास्ताँ छुपी तो हो
मैं जीत दूंढ़ता हूँ उनमें
पर हिम्मत सबने हारी हैं
माना कि पन्ने कोरे हैं
पर कोशिशें जारी हैं

ऐसा नहीं कि कहने को
मेरे पास कुछ भी नहीं
पर जो मैं कहना चाहूंगा
सुनना चाहेगा कोई नहीं
कहने को लाख हैं जेबों में
पर चंद सिक्कों की उधारी है
माना कि पन्ने कोरे हैं
पर कोशिशें जारी हैं