कुछ नया नया
कुछ सुना सुना
इक गीत लबों पर आया था
कुछ बुझी बुझी
कुछ जली जली
यादों ने पल महकाया था
दो नाम जुड़े थे उस पल से
और आज सिले थे उस कल से
हम बुनते बैठे लमहों को
और कसते बैठे धागों को
कुछ रंगीला
कुछ बेरंगी
आँचल तुमको ओढ़ाया था
फिर शाम ढली फिर सुबह हुई
ज्यों दिन और रात में सुलह हुई
तुम जाते जाते रुकी ज़रा
मेरे चेहरे पर झुकी ज़रा
कुछ कहा नहीं
पर लगा मुझे
बस नाम मेरा दोहराया था
- Manasvi
19 March 2018
कुछ सुना सुना
इक गीत लबों पर आया था
कुछ बुझी बुझी
कुछ जली जली
यादों ने पल महकाया था
दो नाम जुड़े थे उस पल से
और आज सिले थे उस कल से
हम बुनते बैठे लमहों को
और कसते बैठे धागों को
कुछ रंगीला
कुछ बेरंगी
आँचल तुमको ओढ़ाया था
फिर शाम ढली फिर सुबह हुई
ज्यों दिन और रात में सुलह हुई
तुम जाते जाते रुकी ज़रा
मेरे चेहरे पर झुकी ज़रा
कुछ कहा नहीं
पर लगा मुझे
बस नाम मेरा दोहराया था
- Manasvi
19 March 2018
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