कुछ ज़ाहिर कुछ धुंधला सा
कुछ वाकिफ़ कुछ अन्जाना
इक पल है तेरी यादों का
जिससे है मेरा याराना
अकसर आया करता है
तेरे जाने के एक दम बाद
मेरा हमप्याला होता है
करता है बस ये फ़रियाद
यार मेरी आदत ना बन
मिलना पड़ेगा रोज़ाना
इक पल है तेरी यादों का
जिससे है मेरा याराना
जाने तुझसे क्या डर है
मिलने से कतराता है
सुन कर आहट तेरे कदमों की
अन्धेरों में छुप जाता है
चुनता रहता है पास खड़ा
तेरी बातों का नज़राना
इक पल है तेरी यादों का
जिससे है मेरा याराना
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