Just two lines had come to my mind and I messaged it to Lavi. Within five minutes, in successive three messages, she completed the poem.
पहले से आशनाई होगी
जो ज़िन्दगी तुम्हे देख के
मुस्कुराई होगी
तुम्हारे चिलमन में
दिन का बसेरा होगा
तुम्हारी खुशबू ने
रात महकाई होगी
तुम्हारी उंगलियों में
कुछ तो कशिश होगी
धड़कनें मेरी जो
थरथराई होंगी
बातों में मयखाने, साकिये का ज़िक्र
या फिर नीयत मेरी
लड़खड़ाई होगी
आज फिर जो दिल में
तूफ़ान उमड़ा है
उससे बेपरवाह रहो
तो अच्छा है
क्या पता इस दिन के बाद काफ़िर
दिल में फिर शब-ए-तन्हाई होगी
हिचकियों का यूं आना
शायद दिल का बहलावा हो
शायद बारिश की बूंदों ने
फिर उसे मेरी याद दिलाई होगी.
1 comment:
This is so cool! I normally don't read stuff in Hindi coz most of the time i can't relate or connect and my reading and writing skills in that language are kinda sucky but this is brilliant! very nice indeed..!
love..
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