Sunday, July 13, 2014

जीवन

मन कहे जिस छंद में
मन हँसे जिस ताल में
उस में धुन पिरो पाऊं तो
जीवन सुर में बीतेगा

मन लिखे जिस भाषा में
मन गढ़े जो कहानियाँ
उन पन्नों को पढ़ पाऊं तो
जीवन का सच समझेगा

मन रोपे जो क्यारियाँ
मन बोये जिन फूलों को
उस उपवन को सींचूं तो
जीवन हर पल महकेगा

8th july 2014

No comments: