मन कहे जिस छंद में
मन हँसे जिस ताल में
उस में धुन पिरो पाऊं तो
जीवन सुर में बीतेगा
मन लिखे जिस भाषा में
मन गढ़े जो कहानियाँ
उन पन्नों को पढ़ पाऊं तो
जीवन का सच समझेगा
मन रोपे जो क्यारियाँ
मन बोये जिन फूलों को
उस उपवन को सींचूं तो
जीवन हर पल महकेगा
8th july 2014
मन हँसे जिस ताल में
उस में धुन पिरो पाऊं तो
जीवन सुर में बीतेगा
मन लिखे जिस भाषा में
मन गढ़े जो कहानियाँ
उन पन्नों को पढ़ पाऊं तो
जीवन का सच समझेगा
मन रोपे जो क्यारियाँ
मन बोये जिन फूलों को
उस उपवन को सींचूं तो
जीवन हर पल महकेगा
8th july 2014
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