आज मैं फिर एक पुराने एल्बम से गुज़रा
आज मैने भुलाए से कुछ पलों को जी देखा
रोक कर देखा सरकती वक़्त की सुइयों को भी
और फिर भी दो दफा उस घड़ी को सही देखा
चेहरों में तस्वीरों के मुस्कान बहुत सी पायी
पर उन माथों पर ठहरी शिकन को नहीं देखा
जब किसी अनजानी सी हँसी पर नज़र ठिठकी
बरसों बाद दिल को कहीं और होश कहीं देखा
आज मैने भुलाए से कुछ पलों को जी देखा
रोक कर देखा सरकती वक़्त की सुइयों को भी
और फिर भी दो दफा उस घड़ी को सही देखा
चेहरों में तस्वीरों के मुस्कान बहुत सी पायी
पर उन माथों पर ठहरी शिकन को नहीं देखा
जब किसी अनजानी सी हँसी पर नज़र ठिठकी
बरसों बाद दिल को कहीं और होश कहीं देखा
No comments:
Post a Comment