माँगा था वो मिला नहीं
फिर भी मुझको गिला नहीं
कहने को अम्बर से आगे
अरमानों को लेकर भागे
सपने बैठ सिरहाने जागे
नींदों का सिलसिला नहीं
खुद से हारे सबसे जीते
बाहों पर तमगों को सीते
कितने मौसम बरसे बीते
फूल आस का खिला नहीं
यूँ तो सबका कहना माना
जाने क्या था मन को पाना
जंग जीत कर हमने जाना
जीतना था ये किला नहीं
फिर भी मुझको गिला नहीं
कहने को अम्बर से आगे
अरमानों को लेकर भागे
सपने बैठ सिरहाने जागे
नींदों का सिलसिला नहीं
खुद से हारे सबसे जीते
बाहों पर तमगों को सीते
कितने मौसम बरसे बीते
फूल आस का खिला नहीं
यूँ तो सबका कहना माना
जाने क्या था मन को पाना
जंग जीत कर हमने जाना
जीतना था ये किला नहीं
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