मैं मौसम के साथ चलूँ
और मौसम मेरे साथ चले
ढलता जाऊँ मैं हर पल में
मैं बदलूँ जब ये बदले
बादल बन उड़ जाऊँ हवा में
बारिश बन वापस आ जाऊँ
फिर गरमी में लू बनूँ
तपूँ अगन सा सुलगाऊँ
सर्दी में सिहरन बन कर फिर
साँस मेरी कोहरे में ढले
पर इक दिन थक कर बैठूँगा
मन बोलेगा अब और नहीं
जो बदले हर मौसम ऐसे
होता उसका कोई ठौर नहीं
तू चुन ले तू क्या चाहेगा
उमर चुने, उस से पहले
- Manasvi
21 May 2017
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