Friday, February 9, 2018

अलमारी में पीछे की तरफ़

अलमारी में पीछे की तरफ़
कुछ रखा था सम्हाल कर
आज सामने आया तो
कुछ यादें ताज़ा हो गयी

कुछ पल फिर से रंगीन हुए
मुस्कान हल्की सी खिल गयी
जैसे सपनो की ज़ंजीर को
एक टूटी कड़ी मिल गयी
बहुत दिनो से एक शिकन
माथे पर हक़ जमाए थी
चेहरे की रंगत सुर्ख़ हुई
तो शिकन भी कहीं खो गयी
भूली यादों के आले में
तस्वीर पुरानी संजो गयी

और इक दराज़ में रख दिया
फिर से उसे सम्हाल कर
सोयी इक धड़कन जगा कर वो
यादें दिल में कहीं सो गयी
- मनस्वी
27 jan 2018

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