तुम और हम
आधी आधी बाँट लें
अपनी खुशियाँ
अपने ग़म
थोड़ी गर्मी तुम रख लो
थोड़ी सर्दी मुझे दे दो
थोड़े से दिन रात हैं
थोड़े से मौसम
आधी आधी बाँट ले
अपनी खुशियाँ
अपने ग़म
जो लम्हे साथ जिए नहीं
उन पे हक़ दोनों का नहीं
सुलगा लें, साथ बैठें,सेंकें
वो बीता आलम
आधी आधी बाँट ले
अपनी खुशियाँ
अपने ग़म
फिर मुड़ जाएं
अपने अपने रस्ते
कुछ दूर जाके ठिठकें
पोंछ ले आँखें नम
आधी आधी बाँटी हैं
अपनी खुशियाँ
अपने ग़म
मनस्वी
18 सितम्बर 2015
आधी आधी बाँट लें
अपनी खुशियाँ
अपने ग़म
थोड़ी गर्मी तुम रख लो
थोड़ी सर्दी मुझे दे दो
थोड़े से दिन रात हैं
थोड़े से मौसम
आधी आधी बाँट ले
अपनी खुशियाँ
अपने ग़म
जो लम्हे साथ जिए नहीं
उन पे हक़ दोनों का नहीं
सुलगा लें, साथ बैठें,सेंकें
वो बीता आलम
आधी आधी बाँट ले
अपनी खुशियाँ
अपने ग़म
फिर मुड़ जाएं
अपने अपने रस्ते
कुछ दूर जाके ठिठकें
पोंछ ले आँखें नम
आधी आधी बाँटी हैं
अपनी खुशियाँ
अपने ग़म
मनस्वी
18 सितम्बर 2015
No comments:
Post a Comment