Friday, September 21, 2018

बात अधूरी रहने दो ना

बात अधूरी रहने दो ना
कुछ आँखों से कहने दो ना

बहुत बरस से रुका हुआ है
पलकों में जो छुपा हुआ है
उस आँसू को बहने दो ना
बात अधूरी रहने दो ना

हमने ज़ख़्म पुराने देखे
दर्द खड़े सिरहाने देखे
चोट नई भी सहने दो ना
बात अधूरी रहने दो ना

पल गुज़रेगा हम से हो के
हम क्यों इस लम्हे को रोकें
महल आस का ढहने दो ना
बात अधूरी रहने दो ना

मनस्वी
२१ सितम्बर २०१८

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