कुछ बेबाक़ी बातों में
कुछ जागी सी रातों में
कुछ सच्चे जज़्बातों में
मैं अभी भी हूँ कहीं
कुछ बचकाने खेलों में
कुछ पानी के रेलों में
धागों से लटकी बेलों में
मैं अभी भी हूँ कहीं
मैं फिसला लेकिन गिरा नहीं
बेदम हुआ पर मरा नहीं
मैं गुम हूँ पर लापता नहीं
मैं अभी भी हूँ कहीं
- Manasvi
28th May 2018
कुछ जागी सी रातों में
कुछ सच्चे जज़्बातों में
मैं अभी भी हूँ कहीं
कुछ बचकाने खेलों में
कुछ पानी के रेलों में
धागों से लटकी बेलों में
मैं अभी भी हूँ कहीं
मैं फिसला लेकिन गिरा नहीं
बेदम हुआ पर मरा नहीं
मैं गुम हूँ पर लापता नहीं
मैं अभी भी हूँ कहीं
- Manasvi
28th May 2018
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