तस्वीरें, चिट्ठियाँ और रसीदें
लिफ़ाफ़ों में सम्हाली हैं
यादों की अलमारी फिर एक बार
क़रीने से सजा ली है
दिल आज फिर... ख़ाली है
कुछ सपनों की बातें करती
पर्चियाँ भी बरामद हुई
भूले बिसरे वादों का
ज़िक्र छिड़ा, खुशामद हुई
मोड़ के फिर वो पर्चियाँ सारी
किताबों में छुपा ली है
दिल आज फिर... ख़ाली है
कितना चल के आए हैं
कितना और जाना है
कितना याद रखना है
और किस किस को भुलाना है
तय किया और ढेर लगाया
आग भी जला ली है
दिल आज फिर... ख़ाली है
मनस्वी
११/१०/२०२०
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