मोड़ माड़ के बटुए में
रख तो रही हो हिफाज़त से
पर ये मेरी यादें हैं
तुम भूलोगी कुछ पल में
बिसराए लम्हों की कोई
कीमत कहाँ होती है कभी
हिलते डुलते रहते हैं बस
ये धड़कन की हलचल में
टकरायेंगी कभी कहीं जो
ये बटुए की सफाई में
काई जैसी उभरेंगी फिर
आज बनकर ये कल में
कम से कम झूठे वादे की
एक निशानी इन पे लगा दो
ताकि लगती रहें ज़रूरी
इस पल में कभी उस पल में...
- 19th April 2014
रख तो रही हो हिफाज़त से
पर ये मेरी यादें हैं
तुम भूलोगी कुछ पल में
बिसराए लम्हों की कोई
कीमत कहाँ होती है कभी
हिलते डुलते रहते हैं बस
ये धड़कन की हलचल में
टकरायेंगी कभी कहीं जो
ये बटुए की सफाई में
काई जैसी उभरेंगी फिर
आज बनकर ये कल में
कम से कम झूठे वादे की
एक निशानी इन पे लगा दो
ताकि लगती रहें ज़रूरी
इस पल में कभी उस पल में...
- 19th April 2014
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