Monday, November 14, 2016

माना मैं भूल चला था लेकिन

माना मैं भूल चला था लेकिन
तुम तो याद दिलाते
आँखों के दरवाज़े बन्द मिले थे
तो दिल से चले आते

तुम्हीं बताते कितना मुश्किल
मुझ बिन जीना हो चला
मेरे साथ के बिन तुमसे अब
ना जीना जीने से भला
मैं कहता तुम ना कहते पर
इशारों से ही बुलाते
आँखों के दरवाज़े बन्द मिले थे
तो दिल से चले आते

मैं क्यों मान के बैठा हूँ कि
तुम मन की मन में रखोगे
जो मैं चुप बैठा तो तुम भी
मुझसे दिल की ना कहोगे
दस्तूर ये है कि मैं कहूँ तो
तुम रिवाज झुठलाते
आँखों के दरवाज़े बन्द मिले थे
तो दिल से चले आते
- 16 July 2016

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