Saturday, May 3, 2014

बस थोड़ी देर

बस थोड़ी देर
यूँ ही खामोश खड़े रहो।
कुछ कहना नहीं
बस देखते रहो मुझे
किसी अजनबी की तरह।

तुम्हे हक़ है वो सोचने का
जो तुमने सोचा है।
मुझे कोई सफाई नहीं देनी
हालाँकि, मौका है।
तुमसे मुझसे हो कर
साँसों को गुजरने दो।
कुछ कहना नहीं
बस देखते रहो मुझे
किसी अजनबी की तरह।

मैं इस पल को कैद करके
कभी फुर्सत में जियूँगा।
तुम्हारे नाम का प्याला भी
मैं खुद ही पियूँगा।
फिलहाल दरमियाँ इन
लम्हों को बरसने दो।
कुछ कहना नहीं
बस देखते रहो मुझे
किसी अजनबी की तरह।

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